आखिर क्या है जिन्दगी?कोई सपना या हकीकत



  कभी-कभी ऐसा होता है कि हम अपने आप से ही प्रश्न पूछने है और उनके उत्तर ढून्ढने मे लग जाते है| शायद जिन प्रश्नो के उत्तर ढूढ रहे हम वो हमे नहीं मिलते पर कुछ ऐसे जवाब मिल जाते है जिनकी हम कल्पना भी नहीं करते है|उनकी खोज में हमे ऐसी बातों के बारे में  ग्यान हो जाता है ज़िसकी हमने कल्पना भी ना की  हो |इसी के साथ प्रश्न उठता है कि आखिर क्या है ये जिन्दगी?जो हम इसे सँवारने मे लगे रहते है|*क्या जिन्दगी कोई सपना है ?या कोई हकीकत है?

                   प्रश्न जितने साधारण दिखते है शायद इनके जवाब उतने ही कठिन और उच्च श्रेणी से भरे पडे है| इस प्रश्न का उत्तर ढूढँने मे शायद लोगो की जिन्दगी भी निकल जाती है|जैसा कि हम सब जानते है कि संसार माया की छाँव मे बढ़ता है| हर कोई इस विश्व में देखता है कि जिस ..............

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